तन्हाई ने सिखाया है कि कुछ चीजें हमारे पास होती हैं, “मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो…” जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे। Your browser isn’t supported anymore. Update it to have the most https://youtu.be/Lug0ffByUck